Salary Slip: जब भी आप कहीं नौकरी करने जाते हैं तो सैलरी स्लिप (Salary Slip) की जरूरत पड़ती है। आप चाहे सरकारी नौकरी में हो या प्राइवेट नौकरी में सैलरी स्लिप सभी के लिए बेहद जरूरी है। जो उम्मीदवार नौकरी करता है उसकी आय का एक कानूनी प्रमाण सैलरी स्लिप (Salary Slip) को माना जाता है। Salary Slip के जरिए आप अपनी “Track Your Salary” कर सकते हैं। आप जान सकते हैं कि आपकी Basic Salary कितनी है और आपका PF contribution कितना है। इसके अलावा मकान किराया भत्ता (house rent allowance), यात्रा भत्ता (travel allowance ) सहित अन्य जानकारियां भी Salary Slip में होती हैं। अगर किसी महीने में आपकी सैलरी कम आयी है तो इस “Slip of Salary” को देखकर आप पता लगा सकते हैं कि कितने दिन की सैलरी कटी है . आप salary slip download भी कर सकते हैं।

Salary Slip की क्यों पड़ती है जरुरत ?
अगर कोई उम्मीदवार मौजूदा नौकरी छोड़कर दूसरी नई नौकरी के लिए आवेदन करता है तो इसमें सैलरी स्लिप (Salary Slip) एक अहम रोल अदा करती है। इसी के बदौलत वेतन में वृद्धि के लिए बातचीत करने में सहूलियत होती है। आपकी सैलरी स्लिप से बेसिक सैलरी के साथ कई चीजें जोड़कर आपकी ग्रॉस सैलेरी बनती है अगर फिर उसमें PF काट कर उस आपके खाते में कैश इन हैंड सैलेरी आती है।
Salary Slip में मिलता है इन चीजों का लाभ
उम्मीदवारों की सैलरी स्लिप (Salary Slip) में बेसिक सैलेरी, HRA, Special Allowance जोड़ा जाता है उसके बारे में आप अच्छी तरह से जानते हैं। आज इस लेख में जानते हैं कि कर्मचारियों को बेसिक सैलेरी, HRA, लीव ट्रैवल भत्ता, प्रोफेशनल टैक्स, ट्रैवल अलाउंस, प्रोविडेंट फंड आदि के बारे में पूरी डिटेल को जानते हैं:
बेसिक सैलेरी
Basic salary वह राशि है जो अतिरिक्त जोड़ने या घटाने से पहले किसी कर्मचारी को भुगतान की जाती है। बेसिक सैलरी में भत्ते जोड़े जाएंगे, जैसे वर्क फ्रॉम होम स्टाफ के लिए इंटरनेट भत्ता या फोन कॉल के लिए टेलीफोन भत्ता।
Salary slip monthly basis पर बनती है। इसलिए इसमें कर्मचारी को हर महीने मिलने वाले वेतन का पूरा हिसाब दिया जाता है। यदि मासिक आधार पर कर्मचारी के मूल वेतन, मकान किराया भत्ता, अन्य भत्ते, पीएफ कटौती, वीपीएफ, बीमा के लिए हर महीने वेतन से कोई पैसा काटा जा रहा है, तो पेशेवर कर कटौती, टीडीएस कटौती जैसी आवश्यक जानकारी इसमें मौजूद है। इतना ही नहीं, अगर आपकी सैलरी एक महीने में कम है तो आप इस स्लिप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कितने दिन की सैलरी कटी है।
हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance HRA)
हाउस रेंट अलाउंस (HRA) में बेसिक सैलरी का 50 फीसदी तक हो सकता है। अगर आप किराए पर रहते हैं तो साल में जितना किराया देते हैं उसमें से बेसिक सैलरी का 10 परसेंट हटाने के बाद जो पैसा बचता है वह HRA हो सकता है। आप जिस घर के किराए का भुगतान करते हैं उसके लिए इनकम टैक्स एक्ट के तहत पूर्ण या आंशिक टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
लीव ट्रैवल भत्ता (LTA)
लीव ट्रैवल भत्ता (LTA) टैक्स फ्री (Tax Free) होता है यह कर्मियों को यात्रा के खर्च में सहायता देता है। आप इसे अपने बच्चों पति या पत्नी और माता-पिता के साथ यात्रा के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। साल में कम से कम एक बार हॉलिडे ट्रिप लेकर आप टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपनी कंपनी के पास अपनी यात्रा संबंधी बिल जमा करना जरूरी होता है।
प्रोविडेंट फंड (PF)
अगर किसी भी कर्मचारी के पास 20 से ज्यादा कर्मचारी हैं तो उसे EPF Act 1952 के तहत रिटायरमेंट का लाभ प्राप्त करना जरूरी है। PF आप की Basic Salary का 12 फ़ीसदी होता है जो आपके PF Account में जमा होता है। PF में जितनी राशि आपकी सैलरी से कटती है उतनी ही राशि कंपनी अपनी तरफ से भी आप के PF अकाउंट में जमा करती हैं। इस पैसे को नौकरी छोड़ने पर या फिर किसी जरूरत पड़ने पर PF की राशि को आप निकाल सकते हैं।
मेडिकल एलाउंस (Medical Allowance)
मेडिकल एलाउंस कर्मचारियों को मेडिकल कवर (Medical Cover) के रूप में दिया जाता है। इस सुविधा का लाभ कर्मचारी जरूरत पड़ने पर उठा सकते हैं। पहले कर्मचारियों को ₹15000 तक का मेडिकल अलाउंस मिलता था लेकिन अब इस अलाउंस में बढ़ोतरी कर दी गई है इसकी राशि ₹21000 किया गया है।