Holi Date 2023: इस वर्ष होली 08 मार्च 2023, बुधवार को पड़ रही है। होलाष्टक होली से 8 दिन पहले पड़ता है। इस बार होलाष्टक 28 फरवरी से पड़ रहा है। रंगों के इस त्योहार में माहौल में एक अलग ही उल्लास और रौनक होती है। आइए जानते हैं होली और होलिका दहन (Holika Dahan) की तारीख (Holi Kab Hai) और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से।
होली के त्यौहार को रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है। इस बार होली 08 मार्च 2023 दिन बुधवार के दिन मनाई जाएगी। साथ ही होलाष्टक होली से 08 दिन पहले पड़ता है। इस बार होलाष्टक 28 फरवरी 2023, मंगलवार से प्रारंभ हो रहा है। वहीं, होलिका दहन 07 मार्च 2023 दिन मंगलवार को किया जाएगा। सनातन धर्म में फाल्गुन मास (Phalgun) की पूर्णिमा तिथि (Purnima) को होली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

होलिका दहन शुभ मुहूर्त (Holika Dahan 2023 Shubh Muhurat)
होलिका दहन तिथि- 07 मार्च 2023, दिन मंगलवार
होलिका दहन शुभ मुहूर्त– 06 मार्च 2023 को शाम 04 बजकर 17 मिनट से 7 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 9 मिनट तक
कैसे किया जाता है Holika Dahan?
होलिका दहन में एक पेड़ की टहनी को जमीन में दबा दिया जाता है और उसे चारों तरफ से लकड़ी, पुआल या उपले से ढक दिया जाता है। शुभ मुहूर्त (Holi 2023 Subh Muhurat) में इन सभी चीजों का दहन किया जाता है। छेद वाले गोबर के उपले, गेहूँ की नई बालियाँ और गोबर डाले जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे व्यक्ति को साल भर आरोग्य की प्राप्ति होती है और इस अग्नि में सारे दोष जल जाते हैं। होलिका दहन (Holika Dahan 2023) के दिन घर में लकड़ी की राख लाकर उससे तिलक करने की भी परंपरा है। कई जगहों पर होलिका दहन को छोटी होली भी कहा जाता है।
होलिका दहन के दिन करें ये काम
- होलिका दहन के बाद पूरे परिवार सहित चंद्रमा के दर्शन करें तो अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है।
- होलिका दहन से पहले यदि होलिका की सात परिक्रमा के बाद उसमें मिठाई, केक, इलायची, लौंग, अनाज, केक आदि डाल दिया जाए तो इससे परिवार में सुख–समृद्धि आती है।
विभिन्न प्रदेशों में होली का त्योहार
Holi Festival 2023: होली का त्योहार देश के हर हिस्से में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। मध्य प्रदेश के मालवा अंचल में होली के पांचवें दिन रंगपंचमी मनाई जाती है, जो मुख्य होली से ज्यादा शोर-शराबे से खेली जाती है। ब्रज क्षेत्र में होली का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं, बरसाना में लठमार होली (Lathmar Holi) खेली जाती है। मथुरा और वृंदावन में भी 15 दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है।
हरियाणा में होली के दिन देवर-भाभी द्वारा देवर को प्रताड़ित करने की परंपरा है। महाराष्ट्र में रंगपंचमी के दिन सूखे गुलाल से होली खेलने की परंपरा है. होली दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के लिए सबसे बड़ा त्योहार है। छत्तीसगढ़ में लोक गीत बहुत लोकप्रिय हैं और मालवांचल में होली भगोरिया के नाम से जानी जाती है।
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होली का पौराणिक महत्व (Holi Katha)
Holi ki Story: फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन हिरण्यकश्यप को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। उन्होंने बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का कार्य अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसे वरदान प्राप्त था कि आग उसके शरीर को नहीं जला सकती। होलिका भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से उसे गोद में लेकर आग में समा गई। लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और ईश्वर की कृपा के फलस्वरूप होलिका स्वयं आग में जल गई। आग में प्रहलाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ था। तब से होली के पहले दिन होलिका दहन किया जाता है.
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