EPS 95 Higher Pension : पिछले कुछ दिनों में ज्यादा पेंशन और EPS 95 काफी चर्चा में हैं। आपको भी आपके एचआर विभाग (HR Department) की तरफ से पेंशन विकल्प का ईमेल आ जाएगा। 2014 से पहले जो लोग EPFO के सब्सक्राइबर हैं, वे 2 में से एक विकल्प का चुनाव कर सकते हैं। लेकिन सबसे बड़ा भ्रम यही है कि कौन-सा विकल्प चुनें। उससे भी पहली समस्या है कि EPS 95 क्या और इसके तहत Pension पर गड़बड़ी कैसे करता है।
लोग नहीं समझ रहे हैं कि उन्हें ज्यादा पेंशन कैसे मिलेगी? क्या उनके हाथ में आने वाले पेंशन में से कुछ कट करके पैसा पेंशन फंड में डाला जाएगा या फिर किसी और तरीके से इसे लिया जाएगा? इसके अलावा एक सवाल ये भी है कि कर्मचारी इसे किससे चुन सकते हैं। अगर चुनते हैं तो क्यों चुनें? न चुनें तो क्या क्षति हो सकती है?

अगर आप भी EPS 95 को लेकर किसी तरह की दुविधा में हैं तो फिक्र न करें। आप बिल्कुल सही जगह पर हैं और आपके हर सवाल का जवाब निवेश की दुनिया के एक बड़े जानकार की मदद से पाने की कोशिश की है। इस सूचना के आधार पर आप यह तय करेंगे कि आपको क्या Pension का विकल्प मिलेगा या नहीं।
EPS-95 क्या है?
निजी क्षेत्र के कर्मचारियों (जो EPFO account holders हैं) को सेवानिवृत्ति के बाद pension का लाभ देने के लिए 1995 में एक नया नियम लागू किया गया था। इसे EPS-95 कहते हैं। इसके तहत पहले पेंशन फंड में अंशदान के लिए अधिकतम वेतन 6,500 रुपये माना जाता था। यानी आपकी सैलरी चाहे जो भी हो, 6,500 का सिर्फ 8.33 फीसदी पेंशन फंड में जाएगा, बाद में इसे बढ़ाकर 15,000 रुपए कर दिया गया।
यानी आपकी सैलरी चाहे जो भी हो, 15,000 रुपये का सिर्फ 8.33% ही पेंशन फंड में जाएगा. लेकिन, 2014 के बाद इस कैप को खत्म कर दिया गया और कर्मचारी को अपने बेसिक और DA की कुल राशि पर पेंशन फंड में 8.33 फीसदी योगदान करने की छूट मिल गई.
कौन और कैसे Pension Fund में योगदान देता है?
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के प्रत्येक सदस्य के 2 खाते होते हैं। एक कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और दूसरी कर्मचारी पेंशन योजना (EPS)। हर महीने कर्मचारी के बेसिक और DA से 12 फीसदी रकम काटकर EPF में जमा किया जाता है, जबकि उसका एंप्लॉयर भी कर्मचारी के बेसिक और DA का 12 फीसदी डालता है. लेकिन, नियोक्ता का पूरा योगदान EPF में नहीं जाता है। नियोक्ता का 8.33% योगदान EPS account में जाता है, जबकि 3.67% EPF account में जाता है.
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ज्यादा Pension, मतलब कितनी ज्यादा?
यह सबसे इस पूरे बदलाव का सबसे अहम सवाल है और इसका जवाब भी काफी रोचक है. दरअसल, पहले पीएफ खाताधारक (PF Account Holder) के लिए pension की गणना 6,500 रुपये के वेतन को ही आधार मानकर की जाती थी. इसका फॉर्मूला था- पेंशन योग्य वेतन x नौकरी के साल/70. अगर किसी व्यक्ति ने 35 साल की नौकरी की तो इस फॉर्मूले पर वह रिटायरमेंट के बाद 3,250 रुपये पेंशन का हकदार होगा.
EPF wage बढ़कर 15 हजार हुआ तब इसी फॉर्मूले पर पेंशन बढ़कर 7,500 रुपये महीने पहुंच गई. यानी 35 साल नौकरी के बाद रिटायर हुआ तो मासिक पेंशन 7,500 रुपये बनेगी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसका फॉर्मूला बदला और नौकरी के अंतिम 60 महीने के औसत वेतन को पेंशन योग्य सैलरी माना:
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- मान लीजिए कि आपकी नौकरी के पिछले 60 महीनों के लिए औसत वेतन 1 लाख रुपये है।
- अब गणना सेवा के कुल वर्षों का 1 लाख गुणा होगी। यह 70 से विभाजित होगा।
- इस फॉर्मूले पर आपकी Pension 50 हजार रुपए हो जाएगी।
- अब यह नहीं समझ रहे हैं कि पहले 7500 रुपये पेंशन बनती थी अब 50 हजार रुपये हो जाएगी।
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