सरकार हर चीज को बेचने की हड़बड़ी में नहीं…वित्त मंत्री सीतारमण का बड़ा ऐलान!

big update on bank privatisation and merger: केंद्र सरकार की तरफ से बैंकों (privatization of banks) और सरकारी कंपनियों (government companies) के निजीकरण की कई खबरें सामने आ चुकी हैं. सरकारी बैंकों का विलय सरकार ने कर दिया है। साथ ही कई बैंकों और कंपनियों में हिस्सेदारी भी बेची जा चुकी है, लेकिन अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) की तरफ से बड़ा बयान जारी किया गया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा है कि सरकार को सब कुछ बेचने की जल्दी नहीं है और वह दूरसंचार समेत रणनीतिक क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी बनाए रखेगी।

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विलय से पहले विचार करेगी सरकार

होल्डिंग कंपनी के स्तर (holding company level) पर रणनीतिक क्षेत्रों में मौजूदा सार्वजनिक क्षेत्र के वाणिज्यिक उद्यमों की न्यूनतम उपस्थिति को सरकारी नियंत्रण में रखा जाएगा। इस क्षेत्र के बाकी उद्यमों के निजीकरण या किसी अन्य Public Sector Enterprise (PSE) के साथ विलय या बंद करने पर विचार किया जाएगा।

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यह जानकारी कांफ्रेंस में दी

यहां आयोजित ‘Raisina Dialogue 2023’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार के स्वामित्व वाली पेशेवर कंपनियां देश में चार व्यापक रणनीतिक क्षेत्रों में परिचालन जारी रखेंगी। PSE Policy के अंतर्गत परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष एवं रक्षा, परिवहन एवं दूरसंचार; बिजली, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिजों और बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाओं की चार व्यापक रणनीतिक क्षेत्रों के रूप में पहचान की गई है।

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सरकार सब कुछ बेचने की जल्दी में नहीं है

उन्होंने कहा, सरकार की नीति सब कुछ बेचने की हड़बड़ी नहीं है..न ही इसका मतलब यह है कि सरकार सूई से लेकर फसल और हर चीज का उत्पादन शुरू कर देगी। जहां सरकार नहीं रहना चाहती, वहां उसका अस्तित्व नहीं है। लेकिन जहां रणनीतिक हितों को देखते हुए मौजूद रहने की जरूरत है, वह दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में होगी। वित्त मंत्री ने इन क्षेत्रों में सरकार की न्यूनतम उपस्थिति के महत्व को समझाते हुए कहा, “एक सरकारी स्वामित्व वाली दूरसंचार कंपनी होगी और इसे पेशेवर रूप से चलाया जाएगा।”

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लक्ष्य 51,000 करोड़ रुपये जुटाने का है

उन्होंने कहा, जो संस्थान अपने दम पर काम करने में सक्षम हैं, वह अलग बात है, लेकिन अगर किसी बहुत छोटी कंपनी में कोई संभावना है, तो हम उनका विलय करके एक बड़ी इकाई बनाने की कोशिश करेंगे ताकि वे काम कर सकें। सीतारमण ने बजट भाषण में घोषणा की थी कि सरकार विभिन्न सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर वित्त वर्ष 202324 में 51,000 करोड़ रुपये जुटाएगी। यह लक्ष्य 31 मार्च, 2023 को खत्म होने वाले मौजूदा वित्त वर्ष से थोड़ा अधिक है।

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